मातृ-शिशु स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की बेहतरी का प्रयास है निरंतर जारी

अररिया, रंजीत ठाकुर। जिले में मातृ व शिशु संबंधी स्वास्थ्य सेवाएं हमेशा जटिलताओं से भरा रहा है। सघन आबादी, उच्च प्रजनन दर, गरीबी, अशिक्षा व कम उम्र में युवतियों की शादी की वजह से जिले में मातृ मृत्यु दर का अनुपात राज्य के अन्य जिलों की तुलना में अधिक है। जिले का मातृ मृत्यु दर यानि एमएमआर रेट 177 है। वहीं नवजात मृत्यु दर यानि आईएमआर 43 है। जो राज्य के औसत से काफी अधिक है। एमएमआर प्रति एक लाख जीवित बर्थ पर होने वाली महिलाओं की मौत का दर्शाता है। वहीं आईएमआर प्रति एक हजार बच्चों के जन्म पर होने वाली मौत की संख्या को दर्शाता है। गौरतलब है कि मातृ मृत्यु व नवजात मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के लिए जिले में विभिन्न स्तरों पर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। प्रथम तिमाही में गर्भवती महिलाओं की पहचान, प्रसव पूर्व चार एएनसी जांच व संस्थागत प्रसव बढ़ावा देने के लिये कई जरूरी इंतजाम किये गये हैं। लिहाजा जिले में संस्थागत प्रसव संबंधी मामलों में अपेक्षित सुधार देखा जा रहा है।

संस्थागत प्रसव मामले में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी

वर्ष 2019-20 में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षेण 04 की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में प्रसव संबंधी 51।90 फीसदी मामलों का निष्पादन संस्थागत हो रहा था। जो 2019-20 में जारी एनएफएचएस 05 की रिपेार्ट में बढ़ कर 61।60 हो चुका है। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये हाल के वर्षों में जिले में युद्धस्तर पर प्रयास किये गये हैं। लिहाजा इस दौरान संस्थागत प्रसव संबंधी मामले में 20 से 25 फीसदी गुणात्मक सुधार का भरोसा किया जा रहा है।

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कारगर साबित हो रहा बेहतर रणनीति व सामूहिक प्रयास
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में बेहतर रणनीति व सामूहिक प्रयास कारगर साबित हो रहा है। समुदाय स्तर पर काम करने वाली आशा कार्यकर्ताओं से लेकर लेबर रूम में प्रतिनियुक्त कर्मियों के क्षमता संर्वद्धन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इतना ही नहीं प्रथम तिमाही के दौरान गर्भवती महिलाओं की पहचान को लेकर भी युद्धस्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। ताकि गर्भवती महिलाओं से संबंधित बेहतर डेटा का संधारण संभव हो सके। साथ ही हाई रिस्क प्रिगनेंसी के मामलों को चिह्नित कर इसका कुशल प्रबंधन सुनिश्चित कराया जा सके।

एएनसी के अनुपात में संस्थागत प्रसव प्राथमिकता
डीपीएम स्वास्थ्य संतोष कुमार ने बताया कि एएनसी जांच को प्रमुखता दिये जाने से स्थिति में काफी बदलाव हुआ है। जिला स्तरीय लक्ष्य को प्रखंड व प्रखंड स्तरीय लक्ष्य को वीएचएसएनडी सत्र के मुताबिक बांटा गया है। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये चतुर्थ एएनसी के अनुपात में संस्थागत प्रसव सुनिश्चित कराने का प्रयास किया जा रहा है। प्रसव संबंधी सुविधाओं को भी विस्तारित किया गया है। पूर्व में जहां जिले में 31 एलआर सेंटर थे। वहीं वर्तमान में इसकी संख्या बढ़ कर 62 हो चुकी है। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में ग्रामीण इलाकों में संचालित हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो रही है। हर महीने दो हजार से अधिक प्रसव संबंधी मामले वेलनेस सेंटर के माध्यम से सफलता पूर्वक निष्पादित किये जा रहे हैं। संस्थागत प्रसव को लेकर लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है. तो स्वास्थ्य संस्थान भी पहले की तुलना में अधिक सुविधाजनक व साधन संपन्न हुए हैं।

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